युध्द और मुनाफ़ा
रजनीश संतोष
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यह सोचना बेकार है कि युद्ध में लाखों लोग मरेंगे
पहले भी युद्ध हुए हैं
उनके आँकड़े बड़े सलीक़े से सहेजे गए हैं.
शहादत के लिफ़ाफ़े में भरी जाती हैं हत्याओं की चिट्ठियाँ
मौत से कहीं महत्वपूर्ण है ज़िंदगी
इसलिए यह सोचिए कि युद्ध के बाद जीवित कौन लोग बचते हैं
यह जानना फ़िज़ूल है कि युद्ध से कितना नुक़सान होगा
युद्ध की तैयारियों में लगता है
अनाप शनाप पैसा और संसाधन
जिससे खोले जाने चाहिए अस्पताल, स्कूल और कारख़ाने
युद्ध महज़ दो सेनाओं या दो देशों के बीच कुछ आपसी हत्याएँ भर नहीं होता
कौन सैनिक युद्ध चाहता है ?
जो युद्ध चाहता है वह शुद्ध व्यापारी है
इसलिए यह पता कीजिए कि युद्ध के पहले ही युद्ध से मुनाफ़ा कमाने की
किसकी तैयारी है
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