यू पी के पूर्व मंत्री स्मृति शेष चेतराम गंगवार के बारे में संस्मरण (भाग 7)

संस्मरण लेखिका उनकी सुपत्री विमलेश गंगवार ‘दिपि ‘ हैं जो सुप्रसिद्ध लेखिका हैं ।


बुजुर्गों की हवेली ( पचपेड़ा ) राजनैतिक तनावों से मुक्त , शांति मय और संगीत मय हो गई थी अब ।

चुनाव की जीत से गाँव के बच्चे इतने खुश हो गये कि जब उनके मन में आता वे घर को फूलों से सजा जाते ।नाच गा जाते और मन भर कर बाजे गाजे बजा जाते ।अब इस समय उन्हें कोई मना भी न करता क्यों कि सबने किसी न किसी रूप में मेहनत की थी ।अब मना लो खुशियाँ जितना मन चाहे ।
घर में दादी और अम्मा थी वे इन सब में लड्डू बांटतीं और रुपये न्योछावर करती ।
हमें तो लगने लगा मंत्री पिता M.L.A. बनकर ज्यादा खुश रहनें लगे हैं ।
मन में आता तो वे पैदल कुहाड़ापीर से चलकर कुतुब खाने होते हुये मिशन अस्पताल पहुंच जाते अपने परिचित बीमार लोगों को देख आते और उनका हाल चाल पूछ आते ।कभी जिला अस्पताल में भर्ती परिचितों की खैर खबर ले आते ।कभी बरेली सब्जी मंडी जाकर ढेरों पसन्द की सब्जियां ले आते ।
लौट कर आते तो बताते कि हमने गोपाल की चाट खाई और बहुत दिनों के बाद दीनानाथ की लस्सी पी ।
कल बड़े बाजार जायेंगे और पन्ना की कचौड़ियां खायेंगे ।जिसको खाना हो चलना । लौटते समय चुन्नामिया के मन्दिर भी चलेंगे ।
दादी और अम्मा बेचारी आपस में बात करतीं कि लगता है अब आगे कुछ करेंगे ही नही बस विधायकी ही करते रहेंगे ।पर चलो इनके चेहरे पर सुकून तो दिखता है अब
मित्रों सुख सुकून भी ऐसी चीज़ है जो ज्यादा दिन नहीं टिकती है कहीं ।सुख और दुख दोनों परिवर्तन शील हैं इधर उधर चलते फिरते रहते हैं ।
पिता जी का भी यह सुख ज्यादा दिन नहीं टिका ।

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