सईदा सायरा रिज़वी की नज़्में

सईदा सायरा रिज़वी,लखनऊ

उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के लखनऊ पुलिस लाइन्स स्थित “पुलिस मॉडर्न स्कूल”की Founder Principal ।
ऑल इंडिया रेडियो में विभिन्न विषयों पर लेखन एवं बातचीत । पठन- पाठन , लेखन एवं शायरी में रुचि।
समाज मे वंचित वर्ग के कष्टों के प्रति जागरूक ।
संयोजिका (उपजा) उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन वीमेन सेल ।सेवा को समर्पित रोटरी क्लब की सदस्य,
इसके अतिरिक्त Human Right Comission Crime Against Women की प्रदेश अध्यक्ष ।
किसान मंच, वीमेन सेल की उपाध्यक्ष ।
उदीयमान फाउंडेशन की आजीवन सदस्य
मुशायरा ग्रुप की एडमिन ।

टिप्पणी :

सईदा सायरा की कविताओ /नज़्मों से गुज़रना ,गहरे एहसासों की दरिया से गुज़रने के मानिंद है ।एक सहरा, जो समंदर होने को बेताब है ,जैसे कि साहिल ,मौज़ों की रवानी पर मन्त्रमुग्ध हो ।

हिंदुस्तानी में लिखी इनकी नज़्मों का आकार भले ही छोटा हो लेकिन दिल की गहराईयों तक पहुँचने की इनमें क्षमता है । इनकी नज़्मों में वह कशिश है जो ज़ेहन को सुकुन देने में क़ामयाब होती हैं ।

【रेत जैसी मोहब्बत 】

मोहब्बत रेत जैसी थी,
मुझे ये ग़लतफ़हमी थी
कि….
मैं दोनों हाथ भर भर कर
मोहब्बत को संभालूंगी
ज़माने से छिपा लूँगी
कभी खोने नहीं दूँगी
मगर…
मैंने इसी डर से कि
मोहब्बत खो ही न जाये
ये मुट्ठियाँ बन्द रखी थीं
मगर…
जब मुट्ठियाँ खोली तो
दोनों हाथ ख़ाली थे
मोहब्बत के सवाली थे
क्योंकि…
मोहब्बत रेत जैसी थी ।

【2】

मैं तेरी रात के पिछले पहर का लम्हा हूँ ,
जो हो सके तो कभी जाग कर गुज़ार मुझे
तेरी हसरतों का वजूद हूँ,
तेरे लबों से लगे जो वो जाम हूँ
मेरी वहशतों को तू कोई नाम दे,
कभी प्यार से गले लगा मुझे।।
मैं चराग़ हूँ तेरी ज़ीस्त का,मेरी अंजुमन को सँवार दे
मैं पनाहों में हूँ तेरे वजूद की,तेरी रूह से तू गुज़ार मुझे।

【जैसे कोई उदास सी खुशबू 】

दिल में ऐसे बसा है तू
जैसे कोई उदास सी खुश्बू
जब भी दिल तुझको याद करता है
तू मेरे जिस्म से गुज़रता है
आँख में क्यूँ रखा हुआ है तू
मैं अधूरा नहीं हूँ तेरे बिना
फिर भी पूरा नहीं हूँ तेरे बिना
साँस में क्यूँ रुका हुआ है तू
दिल में ऐसे बसा हुआ है तू
जैसे कोई उदास सी खुश्बू ।

【एक ख़्वाब सरहाने रख दो ना 】

एक ख़्वाब सरहाने रख दो ना…
आज मुझपे इनायत कर दो ना…
,ज़रा चुपके से…
ख़ामोशी से…
इज़हारे मोहब्बत कर दो ना…
ख़ुद को करके दीवाना सा…
मेरा प्यार अमर तुम कर दो ना..
मैं प्यास में डूबा सहरा हूँ…
तुम मुझको समन्दर कर दो ना..
मैं यूँही दर दर फिरती हूँ…
तुम ख़ुद को मंज़िल कर दो ना..।

【मुझे पसन्द हैं वो लोग 】

मुझे पसन्द हैं वो लोग…
जो अपने आप में मगन रहते हैं..
साजिशें नहीं करते….
नफरतें नहीं फैलाते….
हँसते खिलखिलाते…
अपने गमों को जीते हुए…
बस अपनी दुनिया में ख़ुश…
खुशी बांटते हुए…
मुत्मइन रहते हैं …
और……
मैं खुद भी ऐसी हूं…
अपनी दुनिया में मगन..
नहीं चाहती कोई मेरे अंदर झांकने की कोशिश भी करे ।

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