स्वास्थ्य का उत्तरदायित्व सरकार का होना

सामाजिक यायावर आस्ट्रेलिया से

जिन देशों ने अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्वीकार कर रखी है, वे देश अपने आप अपने नागरिकों को बहुत बेहतर जीवन शैली उपलब्ध कराने का उत्तरदायित्व निर्वाह करते ही हैं।

उदाहरण के लिए ऑस्ट्रेलिया को लेते हैं। ऑस्ट्रेलिया में स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है।

स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार का होने का मतलब केवल यह नहीं है कि सरकारी अस्पताल में इलाज मुफ्त होगा। प्राइवेट क्लीनिक व अस्पताल में भी इलाज कराने में बीमारी के आधार पर सरकार 90% या अधिक तक खर्च वहन करती है।खासी नजला जुकाम तक में भी लगभग 30% खर्च उठाती है।

हर नागरिक के लिए यह नियम लागू हैं। गरीब से गरीब आदमी के लिए भी बिना भेदभाव के। उल्टे गरीबों के लिए अधिक सुविधाएँ हैं। गरीब का मतलब जो यहाँ के हिसाब से गरीब हैं। गरीब का मतलब भूखे नंगे सूखी अंतड़ियों वाले जैसे लोग नहीं।

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चूँकि स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है तो सरकार की कोशिश रहती है कि लोग कम बीमार पड़ें ताकि सरकार का खर्च कम हो।

कम जनसंख्या वाले देशों के लिए सबसे बड़ी बात यह होती है कि चूँकि लोग कम होते हैं तो मानव संसाधन कम होने के कारण लोगों को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

कोई भी देश या समाज घर बैठे तो अमीर हो नहीं सकता कि लोग कम हैं तो अपने आप अमीर हो जाएगा। लोगों को अमीरी के लिए उत्पादन करना पड़ेगा। लोग कम होंगे तो अधिक मेहनत करना पड़ेगा।

अधिक मेहनत कर पाएं इसके लिए लोगों का स्वस्थ व सक्रिय रहना जरूरी होगा। स्वास्थ्य व सक्रियता का गहरा रिश्ता है।

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स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होने से खानपान की गुणवत्ता पर भी सरकार को ध्यान देना होता है।

स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होने से स्वस्थ पेयजल उपलब्ध कराना होगा है।

स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होने से लोगों के लिए हर जगह पार्क व खेलकूद के लिए सुविधाओं का इंतजाम करने होते हैं। जगह जगह ओपन जिम बनाने पड़ते हैं।

छोटे छोटे बच्चों तक को शरीर विज्ञान व स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना पड़ता है।

छोटे छोटे बच्चों को स्कूलों में बेहतर भोजन उपलब्ध कराना पड़ता है।

छोटे छोटे बच्चों को स्कूलों में खेतीबाड़ी सिखाना पड़ता है ताकि वे पौष्टिकता शुद्धता व स्वास्थ्य का तालमेल समझ सकें।

छोटे छोटे बच्चों को पानी, जंगल, नदी, वायु इत्यादि जीवनदायी तत्वों का संरक्षण करना, बेहतर गुणवत्ता का बनाए रखना, सिखाना समझाना पड़ता है।

शिक्षा के तौर तरीके बदलने पड़ते हैं। सभी लोग जागरूक हों इसलिए बेहतरीन शिक्षा मुफ्त करनी पड़ती है।

लोगों के पास पौष्टिक भोजन उपलब्ध रहे, कपड़े उपलब्ध रहे, इसलिए अच्छा खासा बेरोजगारी भत्ता, वृद्धावस्था भत्ता इत्यादि उपलब्ध कराना पड़ता है।

दुर्घटना न हो इसलिए सुरक्षित व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं। आपातकाल से निपटने के लिए बेहतरीन तंत्र व सुविधाओं का इंतजाम करना पड़ता है।

शोषण को कम से कम करना पड़ता है। मजदूरों के काम के घंटे व काम का दबाव कम करना पड़ता है।

और भी बहुत कुछ करना पड़ता है।

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चलते-चलते
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स्वास्थ्य जैसी सिर्फ एक जिम्मेदारी के कारण बहुत सारी जिम्मेदारियों के प्रति उत्तरदायित्व खुद ब खुद होता चला जाता है।

यही कारण है कि अमेरिका जैसे देश स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्वीकार करने से दूर भागते हैं। यही कारण है कि सामंती मानसिकता के समाज व देशों में स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होती।

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