क़र्ज़
सीमा पटेल
एरा के पिता बहुत खुश मन से घर पर आयें । अरे एरा की माँ कहाँ हो…आज तुम्हारी बेटी का रिश्ता पक्का कर आया, लड़के को अपनी एरा बहुत पसंद आई
इतना अच्छा रिश्ता हाथ से न निकल जाए । इस लिए मैंने सोचा शुभ काम में देरी कैसी। थोड़ा शगुन भी कर आया । वो तो सर्दियों में ही शादी करना चाहते है ।
लाज़ो सुन कर एक पल को तो बहुत खुश हुई , लेकिन अगले ही पल उसके माथे पर अनेक चिंताओं की लकीरें खिंच गयी
अपने पति के क़रीब बैठ कर उसका हाथ पकड़ कर बहुत परेशान और चिंता भाव से बोली “सुनो जी, इतनी जल्दी कैसे शादी का सारा इंतज़ाम हो पायेगा। एरा की इंजीनियरिंग की पढ़ाई में काफी पैसा खर्च हुआ । फिर मकान भी बनवाया। अब अपने पास इतने पैसे तो है नही की उनकी दहेज की माँग पूरी भी पूरी कर की जाये ….. कहाँ से इतना पैसा लाएंगे… कैसे शादी करेंगे” ?
अरे लाजो क्यों चिन्ता करती हो, हो जायेगा सब इंतज़ाम । ये भाईचारा कब काम आयेगा । मैं कल ही जाता हूँ बड़े भैया के पास । और सुनो यार थोड़ी – बहुत तो तुम्हारे घर वाले भी हमारी मदद कर देंगे । हमने भी तो सबके लिए इतना सब किया है । मुझे उम्मीन्द है सब से …., मिल-बाँट कर हो जाएगी अपनी बिटिया की शादी तुम चिंता मत करो।
इसी उम्मीद के साथ एरा के पिता जी एक – एक कर के अपने सभी रिश्तेदारो के घर गए । लेकिन सभी जगह से खाली हाथ के सिवा कुछ न हाथ आया । सबने कुछ न कुछ बहाना बना दिया । दहेज में गाड़ी की रक़म उसके माथे में टीस पैदा कर रही थी । बहुत उधेड़ – बुन में था ।
वह घर आकर माथा पकड़ कर बैठ गया। लाजो पानी का गिलास मेज पर रखते हुए बोली “क्या हुआ” ?
आज एरा के पिता को गले मे पानी भी जहर प्रतीत हो रहा था पर फिर भी उसने एक साँस में सारा पानी हलख में उड़ेल लिया ।
लाजो सारी बात समझ गई थी । लाजो का पीला सूखा चेहरा देखते ही उसकी आँखो में आँसू उतर आए । उसके भारी मन से दो शब्द ही फूटे, लाजो….वर्षो से निभाया भाईचारा कोई काम नही आया ।
लाजो अपने आँसुओ को छिपाते हुए कमरे से बाहर चली गई ।
थोड़ी ही देर में लाजो अपने सारे गहने और मकान के कागज़ात पति को थमाते हुए बोली “अंतिम सहारा” आँखो में आँसू और दिल पर रिश्तों का दर्द लिए बैंक की तरफ चल दिया ..।