ज़िंदगी जीने का नाम है
दिनेश कुमार सिंह
हर व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव आता है कभी जीत मिलती है कभी हार। सफलता और असफलता के बीच का जो डर है वही आदमी को परेशान करता है।क्योंकि आज के आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम सबने आवश्यकता से अधिक बडी जिम्मेदारियों को ओढ़ लिया है,कहीं घर की तो कहीं कैरियर की तो कहीं समाज की या सफलता के ऊपर सफलता अर्जित करने की।
कभी कभी सफल लोगों को भी यह एहसास होता है कि मुझे जानने और चाहने वाले लोग बहुत है क्योंकि सफलता के माई बाप बहुत होते है।लेकिन बहुत कम लोग होते है जो इन परिस्थितियों में भी अपनी वास्तविकता को जानते है, असफलता अनाथ होती है जिसका कोई माई बाप नहीं होता।
लेकिन इन दोनों परिस्थितियों में जीता वही है जिसका कोई सच्चा मित्र या गुरु होता है।जो उसे हर सफलता पर यह कहता है कि इस पर गुमान न करो यह सब आभासी है और असफलता पर यह कहता है कि संघर्ष कभी हारता नहीं लगे रहो, मै तुम्हारे साथ हूँ।क्योंकि हम सभी कभी न कभी ऐसे क्षणों को जियें है।
मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ कि आप अपनी हर सफलता और असफलता पर समाज के उस अंतिम आदमी के चेहरे को याद कीजिए जो आप से हर प्रकार की सफलता असफलता से कोसों दूर है लेकिन जिंदगी के जद में टूट नहीं रहा बल्कि संवर रहा है।
क्योंकि मैं बराबर मानता हूँ कि धरती पर हर इंसान कुछ अलग करने ही आया है इसलिए किसी की या अपनी सफलता या असफलता पर पर इतराना या टूटना नहीं क्योंकि कुछ तो रहेगा ही आपके पीछे!
इसलिए जिंदगी को सामान्य तरीके से जिये बल्कि हर क्षण को उत्साह और आनन्द के साथ जीते चलिये जिंदगी को जंग मत बनाइये।