तेज प्रताप नारायण मेरी हिंदीजो हर भाषा के शब्दों को ग्रहण करतीहर भाषा से हाथ मिलाती हैहर भाषा से संवाद करती हैछुआछूत से मुक्त हैलोक से संपृक्त हैये अंग्रेजी को दुश्मन नहीं मानती हैभोजपुरी और अवधी को छोटा नहीं मानती हैउर्दू इसकी बहन हैज्ञान इसमें गहन है मेरी हिंदीपरलोक की नहीं लोक की बात करती […]Read More
परिवर्तन साहित्यिक मंच के तत्वाधान में कवि तेज प्रताप नारायण के पांचवे कविता-संग्रह ” दिसंबर की वो सर्द रात ” का विमोचन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता जामिया मिल्लिया इस्लामिया ,दिल्ली के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. चंद्रदेव यादव ने किया । परिचर्चा में भाग लेते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो.प्रेम तिवारी ,प्रो. सरोज […]Read More
अवंतिका गहरी,नीली नदी गहराई कितनी? नही जानती पर हां!अम्मा कहतीं- कि पानी का रंग जितना नीला होता है, नदी की गहराई उतनी ज्यादा रहती है। ऊपर से दिखता शांत जल, भीतर से कितना तेज बहाब रखता है, यह दिखता नहीं। आकर्षक काया का उभरता गहरा रंग मन के भीतर की गहरी भावनाओं को नही दिखा […]Read More
डॉ० दीपा शिक्षापीएच.डी., एम. फिल., एम.ए. हिंदी (दिल्ली विश्वविद्यालय)पी.जी. डिप्लोमा कोर्स अनुवादक अंग्रेजी-हिंदी-अंग्रेजी (दिल्ली विश्वविद्यालय)पी.जी. सर्टिफिकेट कोर्स पत्रकारिता (दिल्ली विश्वविद्यालय) प्रकाशन•”दीपांजलि” (एकल काव्य संग्रह)•”मासूम सपने” (सम्पादित काव्य संग्रह)•किन्नरों के जीवन पर शोधपरक पुस्तक प्रकाशनाधीन•विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशन हिंदी काव्य सम्मेलनों में ऑनलाइन एवम ऑफलाइन नियमित रूप से भागीदारी :1 […]Read More
1 . [ मैं तुम्हें फिर मिलूँगी ] मैं तुम्हें फिर मिलूँगी कहाँ? किस तरह? नहीं जानती शायद तुम्हारे तख़्ईल की चिंगारी बन कर तुम्हारी कैनवस पर उतरूँगी या शायद तुम्हारी कैनवस के ऊपर एक रहस्यमय रेखा बन कर ख़ामोश तुम्हें देखती रहूँगी या शायद सूरज की किरन बन कर तुम्हारे रंगों में घुलूँगी या […]Read More
डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, कवि एवं स्तम्भकार वक़्त आ गया चलती हूँ;अपना ख्याल रखना,बस आंसू न बहा देना।। सात फेरों में वचन दिया था,जीवन भर साथ निभाऊँगी;पर किस्मत को कुछ और मंजूर था,माफ करना अब कभी ना मिल पाऊँगी;हो सके तो माफ़ी के दो अक्षर,मेरे कानों में सुना देना। वक़्त आ गया […]Read More
तेज प्रताप नारायण ज़रा सोचिएयदि आपको सिर से पैर तककपड़े से ढक करबुर्क़ा पहन करघूँघट निकाल करगर्मी के महीने मेंरात दिन पसीने मेंजिंदगी बसर करनी पड़ेतो कैसा एहसास होगा यदि आपको तीन तलाक़ के साए मेंजिंदगी गुज़ारनी पड़ेबिना अधिकार के कोई ज़िम्मेदारी संभालनी पड़ेयदि आपको रूप कंवर बनना पड़ेजलती चिता में जलना पड़ेतो क्या हाल […]Read More
वो एक मराठा वीर था,“जय शिवाजी”जो ना किसीसे डरता था,“जय शिवाजी”भारत माँ का वो लाल था,“जय शिवाजी”जो कभी ना झुकता था।“जय शिवाजी”जीजाबाई का वो दुलारा था,“जय शिवाजी”शाहजी राजे की आंखों का वो तारा था,“जय शिवाजी”शिवनेरी में वो जन्मा था,“जय शिवाजी”सोलह सौ तीस का वो फ़रवरी महीना था,“जय शिवाजी”भालों से वो खेला था,“जय शिवाजी”सोलह साल में […]Read More









