तेज प्रताप नारायण लोक आस्थाएं तमाम तरह के अंधविश्वास, टीम- टाम से अलग होती हैं ।यदि ऐसे कहा जाए कि लोक आस्थाएं प्रकृति के विभिन्न अंगों-उपांगो के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के उपकरण हैं ,तो शायद गलत न होगा। शायद लोक प्रकृति से इतना जुड़ा हुआ है कि उससे बिना संवाद किए उसका हृदय आह्लाद […]Read More
डॉ शिवेन्द्र कुमार मौर्यपूर्व शोध छात्र, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालयसंप्रतिः शिक्षक, श्री रणंजय इंटर कॉलेज,अमेठी, उत्तर प्रदेश।संपादक: “उन्मेष” अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकामो नं 8004802456 [ राम राज आइ गवा ] राम कै चोला राम कै झोला राम नाम कै डंडीराम नाम से देश चलावै सच मा बा पाखण्डी।जनता मूरख बाटै पूरक अंधभक्ति मा चूरसोचिस अब […]Read More
अनिता चंद (यह लेखक के अपने विचार हैं )इतिहास का संक्षिप्त विवरणउत्तर भारत में नवरात्रि दशहरे के समय रामलीला का बड़ा महत्व है, सभी जगहों पर रामलीलाऐं प्रस्तुत की जाती हैं। हम सभी राम-लीलाओं से अच्छी तरह अवगत हैं।रामलीलाएँ “रामायण” ग्रंथ पर आधारित है।आपको जानकर ख़ुशी होगी ! कि रामायण ग्रंथ हमारे देश का ही […]Read More
डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह प्रोफेसर, लेखक,आलोचक और प्रसिद्द भाषा वैज्ञानिक भारत में भैंसासुर के नाम पर कई गाँव बसे हैं और कई चौक – चौराहे तथा मोहल्ले भी हैं। ■ झारखंड के पलामू जिले के मनातु प्रखंड के अंतर्गत पदमा पंचायत में ” भैंसासुर गाँव” है।■उत्तरप्रदेश के पीलीभीत जिले के अंतर्गत पूरनपुर विधान सभा क्षेत्र […]Read More
मुंशी प्रेमचन्द आल्हा का नाम किसने नहीं सुना। पुराने जमाने के चन्देल राजपूतों में वीरता और जान पर खेलकर स्वामी की सेवा करने के लिए किसी राजा महाराजा को भी यह अमर कीर्ति नहीं मिली। राजपूतों के नैतिक नियमों में केवल वीरता ही नहीं थी बल्कि अपने स्वामी और अपने राजा के लिए जान देना […]Read More
संजय श्रमण इस देश में भेदभाव और शोषण से भरी परम्पराओं का विरोध करने वाले अनेक विचारक और क्रांतिकारी हुए हैं जिनके बारे में हमें बार-बार पढ़ना और समझना चाहिए. दुर्भाग्य से इस देश के शोषक वर्गों के षड्यंत्र के कारण इन क्रांतिकारियों का जीवन परिचय और समग्र कर्तृत्व छुपाकर रखा जाता है. हमारी अनेकों […]Read More











