अनिता चंद (यह लेखक के अपने विचार हैं )इतिहास का संक्षिप्त विवरणउत्तर भारत में नवरात्रि दशहरे के समय रामलीला का बड़ा महत्व है, सभी जगहों पर रामलीलाऐं प्रस्तुत की जाती हैं। हम सभी राम-लीलाओं से अच्छी तरह अवगत हैं।रामलीलाएँ “रामायण” ग्रंथ पर आधारित है।आपको जानकर ख़ुशी होगी ! कि रामायण ग्रंथ हमारे देश का ही […]Read More
डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह प्रोफेसर, लेखक,आलोचक और प्रसिद्द भाषा वैज्ञानिक भारत में भैंसासुर के नाम पर कई गाँव बसे हैं और कई चौक – चौराहे तथा मोहल्ले भी हैं। ■ झारखंड के पलामू जिले के मनातु प्रखंड के अंतर्गत पदमा पंचायत में ” भैंसासुर गाँव” है।■उत्तरप्रदेश के पीलीभीत जिले के अंतर्गत पूरनपुर विधान सभा क्षेत्र […]Read More
मुंशी प्रेमचन्द आल्हा का नाम किसने नहीं सुना। पुराने जमाने के चन्देल राजपूतों में वीरता और जान पर खेलकर स्वामी की सेवा करने के लिए किसी राजा महाराजा को भी यह अमर कीर्ति नहीं मिली। राजपूतों के नैतिक नियमों में केवल वीरता ही नहीं थी बल्कि अपने स्वामी और अपने राजा के लिए जान देना […]Read More
संजय श्रमण इस देश में भेदभाव और शोषण से भरी परम्पराओं का विरोध करने वाले अनेक विचारक और क्रांतिकारी हुए हैं जिनके बारे में हमें बार-बार पढ़ना और समझना चाहिए. दुर्भाग्य से इस देश के शोषक वर्गों के षड्यंत्र के कारण इन क्रांतिकारियों का जीवन परिचय और समग्र कर्तृत्व छुपाकर रखा जाता है. हमारी अनेकों […]Read More
एक साधारण परिवार में जन्मे और ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े इं दिनेश कुमार सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से बी.एस-सी. किया, और देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आई. ई. टी. लखनऊ से बी.टेक. है।अन्ना आंदोलन से प्रभावित होकर उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जंग में कूद पड़े,व्यवस्था परिवर्तन और समाजसेवा […]Read More
संजय श्रमण सारनाथ में गौतम बुद्ध का पहला प्रवचन धम्मचक्र प्रवर्तन सूत्र वक्तव्य कहलाता है। यह उन्होंने अपने पांच भिक्षुओं कौण्डिण्य, वप्प, भद्दीय, अस्सजि और महानाम के सामने दिया था। गौतम बुद्ध के बाद आचार्य वसुबंधु बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं, कई दार्शनिक ग्रंथों में इन्हें दूसरा बुद्ध भी कहा गया है। आचार्य वसुबंधु ने […]Read More
राजीव चौधरी,प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग,DTU है पड़ा गले सबके कोरोना इस क़दर कि, किसी और से गले मिलना भी मुहाल है। पहले होली में थी जैसी कशमकश अब, कुछ वैसी ही ईद पर भी सूरत-ए-हाल है। फ़ासले और न बढ़ जाएं, घटाने की इन्हें, कोई और भी तो सबील निकाली जाए। जुदा ज़ुबां हो या […]Read More