तेज प्रताप नारायण मेरी हिंदीजो हर भाषा के शब्दों को ग्रहण करतीहर भाषा से हाथ मिलाती हैहर भाषा से संवाद करती हैछुआछूत से मुक्त हैलोक से संपृक्त हैये अंग्रेजी को दुश्मन नहीं मानती हैभोजपुरी और अवधी को छोटा नहीं मानती हैउर्दू इसकी बहन हैज्ञान इसमें गहन है मेरी हिंदीपरलोक की नहीं लोक की बात करती […]Read More
…संवेदनशील, सहृदय एवं युवा कवि सुशील द्विवेदी नयी पीढ़ी के उभरते हुए आलोचक और कवि हैं । डायरी का पीला वरक इनकी कविताओं का संग्रह है अपनी कविताओं में सुशील कई रूपों में सामने आते हैं कवि, प्रेमी, दार्शनिक, संवेदनशील पुरुष, प्रकृति प्रेमी, सर्जक आदि । लेकिन इन सब में जो रूप सबसे अधिक उज्ज्वल […]Read More
तेज प्रताप नारायण आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है और ज़ाहिर है आज तमाम लेख,वचन और प्रवचन सोशल मीडिया और अखबारों में पढ़ने सुनने को मिलेंगे। पुरानी कहावत है तंदुरुस्ती हज़ार नियामत लेकिन तंदुरुस्ती से यह आभास होता है जैसे कि तन को दुरुस्त रखने की बात हो रही हो ।मतलब तंदुरुस्ती के साथ मनदुरुस्ती भी […]Read More
लेखक : तेज प्रताप नारायण लेखक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं और कई सारे पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं ।Email: tej.pratap.n2002@gmail.com वर्तमान समय में कोई विरला ही होगा जो किसी न किसी प्रकार के मानसिक या शारीरिक अवसाद से न घिरा हो ।एक परफेक्ट व्यक्ति या परफेक्ट हेल्थ की बस कल्पना की […]Read More
लेखक : कुमार विवेक आज सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मदिन है।सैकडों रियासत को बहुत ही शानदार नेतृत्व से एक करने में उनकी भूमिका के कारण हम यह दिवस राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं। खेड़ा सत्याग्रह,बारदोली आंदोलन ,रियासतों के एकीकरण जैसी प्रमुख घटनाओं के कारण वे हमारी जुबान पर रहते हैं।ये ऐसी घटनाएं […]Read More
तेज प्रताप नारायण एक था डॉक्टर एक था संत एक करना चाहता थाजाति व्यवस्था का हो जाए अंतएक कहता रहाजाति है सामाजिक व्यवस्था का ज़रूरी अंग संत कहते रहेसमाज बदलेगा धीरे धीरेडॉक्टर चाहते थेसामाजिक बदलाव तुरंत संतपरंपरागत ढांचे में ही सुधार चाहते थेडॉक्टरइस ढांचे को करना चाहते थे भंग संत का कहना थाजाति ज़रूरी है […]Read More
तेज प्रताप नारायण बुद्ध होने का अर्थजीवन के मोह से मुक्ति नहींसांसारिक सुखों का त्याग नहीं बुद्ध होने का अर्थअंदर और बाहर से शुद्ध होना हैआंतरिक और बाह्य के द्वैत को कम करना है बुद्ध होने का अर्थहृदय की करुणा और बुद्धि के तर्क की दो पटरियों परजीवन की रेल गाड़ी का चलना है बुद्ध […]Read More









