काहे कौ काटो टिकट ? बतावौ ऐ सरकार! (संस्मरण 6)

ये संस्मरण ,यू पी के पूर्व मंत्री चेतराम गंगवार के बारे में है जो उनकी बेटी विमलेश गंगवार ‘ दिपि ‘ द्वारा लिखा गया है जो एक सुप्रसिद्धि लेखिका हैं ।

अब तो धुआं धार कन्वेसिंग प्रारम्भ हो गई ।जिसको जो मिला उसी से घूमने लगे ।सायकिल पैदल कार जीप सबसे ज्यादा ट्रैक्टर क्षेत्र में घूमने लगे ।
पिता जी के पास एक पुरानी जीप थी U . S.T . 1642 और एक फर्ग्यूसन ट्रेक्टर । दो पुरानी जीपें किराये पर और ले ली थीं ।
पिता जी ने एक लम्बी कविता स्वंय ही बनाई थी ।जिसकी दो पंक्तियाँ ही याद रह गईं हैं अब ।
भाषण शुरू करने से पहले वही कहते
गंगवार तो साथी अपना है
जितवा दो या ठुकरा दो ।
फिर कहते हार गया तो भी तुम्हारा और जीत गया तो भी तुम्हारा ।
रिछोला के आदरणीय विशम्भर दयाल जी अच्छे कवि थे उन्होंने चुनाव के लिये बहुत सारी कविताएँ लिखी थीं ।कुछ पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं
जीतेगा भई जीते गा
पचपेड़ा निवासी जीतेगा।
काहे कौ काटो टिकट
बताबौ ऐ सरकार और भी प्रभाव शाली गाने ,जो चुनाव में प्रयुक्त किये गये ।
हमारे गाँव के बैन्ड बाजे जो दूर दूर तक शादी व्याह और उत्सवों में बाजे बजाते थे ।उन महान लोगों ने अपना रोजगार छोड़ दिया शादियों में बैन्ड बजाना छोड़ दिया और नबाव गंज की एक एक गाँव में गलियारों में चौपालों में खेतों में खलिहानों में सुरीला संगीत बिखेरने लगे और ढोल बाजों के बीच गा गा कर बार बार पूछने लगते ……..
काहे कौ काटो टिकट
बताबौ ऐ सरकार
जहाँ जहाँ यह टोली जाती भीड़ लग जाती बच्चों और युवा नाचने लगते ।घूंघट वाली नवविवाहित बहुयें भी अपने दरबाजे पर आकर घूंघट उठा कर झांकने लगती ।
बुजुर्ग कहते कि बैठो दिन भर गाते बजाते हो ।खाना खाकर जाना ।और इस तरह कभी भी भूखे पेट बाजे नही बजाये ।
कुछ लोग कहते कि हम लोग नहीं जानते थे कि पचपेड़ा में इतने उच्च कलाकार भी रहते हैं ।
जिसकी गाड़ी या ट्रेक्टर वही अपने पैसे से पेट्रोल डलवाने का कार्य करता ।किसी ने पेट्रोल का पैसा पिता जी से नहीं मांगा क्यों कि वे जानते थे कि Independent condidate कहाँ से पैसा लायेगा ।किसी पार्टी का हाथ तो है नहीं सिर पर ।
चन्दुआ गाँव के एक कार्य कर्ता थे आदरणीय हरनारायण सक्सेना ।वह रोज का हिसाब रखते और जिन जिन लोगों का पैसा खर्च होता उसे डायरी में नोट करते ।
पिता जी कहते कि संभाल कर रखना डायरी । जीतू या हारू यह पैसा तो देना ही है ।
बाद में किसी ने भी यह पैसा वापस नहीं लिया ।
वह शुभ चिंतक कहते कि चंदा लिया होता या पैसा कमाया होता तो अवश्य हम पैसा ले लेते ।
जिस दिन कांग्रेस की रैली थी जोकि पूर्व निर्धारित थी ।माननीय नारायण दत्त तिवारी जी आये जैसे ही भाषण देने मंच पर चढ़े वैसे ही वह ग्रामीण कलाकार जोर जोर से ढोल और बाजे बजा कर सुरीले कंठों से गाने लगे …….
काहे कौ काटो टिकट
बताबौ ऐ सरकार
बताबौ ऐ सरकार
काहे कौ काटो टिकट?
गा गा कर मैदान के चारो ओर घूमने लगे ।अब तक तो ठीक था ।कूछ क्रो धित युवाओं ने मंच पर अन्डे आलू और टमाटर फेंकना शुरू कर दिया ।
कुछ लोग पल पल की खबर दे रहे थे पिता जी को ।
पिता जीने बड़े पुलिस अफसर को फोन किया कि यहाँ पुलिस कार्रवाई कर रही है लेकिन मैं बिलकुल नही चाहता यहाँ दंगा हो जाये ।आज जो मेरा समर्थन कर रहें हैं और जो नहीं कर रहें हैं वे दोनो गुट मेरा नबाब गंज ही है ।
किसी को चोट न लगे लाठी चार्ज न हो ।यहजनता का और मेरा नवाब गंज । माननीय तिवारी जी आज दिखाई दे रहे हैं कल अपने पहाड़ चले जायेंगे ।
बहुत शान्ति पूर्वक सब सम्पन्न हो गया ।माननीय तिवारी जी भाषण नहीं दे पाये ।सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें आधे कार्यक्रम में ही बरेली सर्किट हाउस में पहुंचा दिया गया ।
वोटिंग का दिन भी आगया ।चुनाव शांति पूर्ण सम्पन्न हो गया ।
अब काउंटिग का दिन आया ।वोट गिनने शुरु हो गये थे ।कई प्रत्याशियोंके वोटों की गणना हो रही थी ।पर जीत हार का सबसे ज्यादा सस्पेंस इसी सीट पर था मानीय तिवारी जी कहीं बैठे थे ( शायद कोई नहीं जानता था बस उन्ही के सपोर्टर जानते थे )
माननीय मुख्यमंत्री जी बार बार पूछ रहे थे ।कांग्रेस कितने से आगे है ।हर वार जबाब मिलता गंगवार आगे है
मित्रों यह चुनाव पिता जी के सभी चुनावों से अलग था ।अद्भुत था ।गंगवार के पास न पैसा था न सत्ता थी और न किसी पार्टी का झंडा था ।
अकेले पिता जी और उनका नबावगंज था ।जो बेचारे अकेले अत्याचार से अन्याय से और अनीति से जूझ रहे थे
और फिर एक शोर मच गया ।कोलाहल मच गया शक्तिशाली सत्य का एकता का और दिलों के प्यार और निश्छल ईमानदारी का …..
बाजे और ढोल कलेक्टोरेट से पचपेड़ा तक गाते आये
जीत गया भई जीत गया पचपेड़ा निवासी जीत गया
जीत गया भई जीत गया प्यारा गंगवार जीत गया
पिता जी के मामा अहमदाबाद गाँव के थे ।उन्होंने पिता जी की खिलाफत की थी ।
एक बार बाजे वालों ने ऊंची आवाज में गाया ……….
मामाजी को दे दो तार
कांग्रेस की हो गई हार ।
नीचे दो फोटो पोस्ट किये हैं जो पचपेड़ा के नट बाजे वालों के हैं ।इन्हीं की पिछली पीढ़ी ने उस निर्दलीय प्रत्याशी पिता जी के चुनाव को संगीत मय कर दिया था।
यह चुनावी यात्रा अभी आगे भी है ………पढ़ियेगा