कौन से मुल्क में इंसान नज़र आता है

 कौन से मुल्क में इंसान नज़र आता है

ये किसी शाह का फरमान नजर आता है
गाँव का गाँव ही वीरान नजर आता है

कौन जीता है यहाँ काट रहे जीवन सब
किस में अब जीने का अरमान नजर आता है

हौसला हो तो कोई राह नहीं मुश्किल है
पंथ मुश्किल भी हो आसान नजर आता है

तेरे अंदर है भरा डर जो वही हावी है
इसलिए खौंफ का तूफान नजर आता है

दोस्ती हो या मुहब्बत वो नहीं कर सकते
जिनको हर काम मे नुक्सान नजर आता है

जानते है वो हमें जाति या तो मजहब से
कौन से मुल्क में इंसान नजर आता है

हमको इंसान में इंसान नहीं दिखता है
और पत्थर में भी भगवान नजर आता है

© राहुल रेड
जिला फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश
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