पीलीभीत टाइगर रिजर्व- तराई आर्क के बाघों का स्वर्ग

डॉ राकेश कुमार सिंह, वन्यजीव विशेषज्ञ

ऊंचेऊंचे साल के दरख्तों से होकर मनमस्तिष्क को उद्वेलित करती हवा, जंगल की पगडंडियों पर धीमे से उड़ते पेड़ों के सूखे पत्ते, पंख फड़फड़ाते परिंदों का कलरव, चूका बीच पर विशाल शारदा जलाशय की नीली लहरों के साथ दूर तक दृष्टिगोचर होते नेपाल राष्ट्र के हिमालय और इन सबके के बीच अपने साम्राज्य की गश्त पर निकला जंगल का बेताज बादशाह बाघ। यह कोई परिकथा या किसी चित्रकार की कल्पना नहीं बल्कि बाघों के उस अभयारण्य की जीवंत प्रस्तुति है, जहाँ आप एक बार जाने के बाद बारम्बार स्वतः पहुंच जाएंगे।

    पीलीभीत टाइगर रिजर्व  नेपाल राष्ट्र व उत्तराखंड की सीमा से मिलते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में स्थित हैं। यह तराई आर्क के उस नम वन क्षेत्र का हिस्सा हैं जो रॉयल बंगाल टाइगर का गढ़ माना जाता है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोड़े के नाल के आकार का है जो 2 किलोमीटर से लेकर 15 किलोमीटर चौड़ाई तक विस्तारित है। लगभग 73024  हेक्टेयर में फैले यह विशाल वन जैव विविधता की सजीव प्रस्तुति हैं। जहाँ शिकारी हैं तो शिकार की भी कमी नहीं है। बेहतरीन रखरखाव के कारण आज यहां बाघों की संख्या बढ़कर लगभग 65 हो गयी है।

      कुछ वर्ष पूर्व गर्मियों में उत्तराखंड के हिल स्टेशनों पर भारी भीड़ होने से हमने पहाड़ों के नजदीक स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सुकून के कुछ पल बिताने की योजना बनाई। पूरनपुर से आगे बढ़ते ही हाईवे के दोनों ओर घने होते जंगलों से आंखें दोचार होते ही लगा कि हमारा यहां आने का प्रयोजन सफल होने वाला है। शाम होतेहोते हम चूका बीच पर थे यहाँ शारदा सागर जलाशय लगभग 74 वर्ग किलोमीटर में फैला 22 किलोमीटर लम्बा व 3 से 5 किलोमीटर चौड़ा है। जलाशय से निकला कई नहरों का जाल टाइगर रिजर्व को और मनमोहक बना देता है। चूका में आपको समंदर के किनारे होने का पूरा आनन्द मिलता है। यहाँ पेड़ पर बने ट्री हाउस में बैठ कर चांदनी रात में प्रकृति को निहारना अविस्मरणीय है। नव युगलों के लिए पानी के ऊपर बनी हट एक यादगार लम्हा हो सकती है।  इसके अलावा थारू हट और बम्बू हट में भी रुकने की उत्तम व्यवस्था पर्यटकों के लिए उपलब्ध है।

    अगले दिन सुबह ओपन जिप्सी में अचानक ब्रेक लगने से हम सभी चौंक पड़े। सामने सड़क पर एक भालू झूमता हुआ जा रहा था। तभी गाइड ने पीछे इशारा किया जहां दूसरा भालू भी था। बाईफरकेशन पर पहुंचने पर जंगल के बीच नहरों का इधर उधर फैलता जाल देखते ही बन रहा था। कुछ ही दूर आगे बढ़ने पर चीतलों का एक अलमस्त झुंड चर रहा था। वहीं जंगल की पगडंडियों पर मोरनियों को रिझाते एक साथ कई मोरों को नाचते देखना अभूतपूर्व अनुभव था। घने होते जंगल में कच्ची सड़कों पर कहींकहीं टाइगर के ताजा बने पगमार्क सबको रोमांचित भी कर रहे थे। साल, अर्जुन, कचनार, खैर, गूलर और बेर आदि के पेड़ों से आच्छादित जंगल और उनकी टहनियों पर बैठे सुरखाब, नीलकंठ, धनेश, कठफोड़वा और हरियल के कण्ठों से निकलने वाले प्राकृतिक संगीत को सुनकर कोई भी मन्त्रमुग्ध हो सकता है।

     जंगल के सीने को चीरती माला नदी और उसके किनारे बारासिंघा का झुंड निहारते हुए न मालूम कब शाम ढल आयी। हम नेचर म्यूजिक सुनते हुए वापस लौट ही रहे थे कि किसी सांबर की तेज़ आवाज़ ने हमें चौकन्ना कर दिया। तभी साम्बरों का एक झुंड छलांगे मारता हुआ हमारी जिप्सी के सामने से निकला। कुछ साथियों ने दूर पेड़ों के बीच इशारा किया जहां एक बाघ किसी सांबर को दबोच के बैठा था। हमारा रिजर्व आने का प्रयोजन पूरा हो गया था। और अधिक रुकना खतरनाक हो सकता था, अतः हमने तेजी से गाड़ी आगे बढ़ा दी।

      दिन भर की यादें समेटे हम चूका लौटे तो चूका जलाशय के सुदूर दूसरे किनारे पर नेपाल के हिमालय की गोद में स्थित शारदा जलाशय बीच पर बैठ कर एक बार फिर पानी में चंद्रमा की परछाईं को निहारते हुए दिन भर की स्मृतियों को तरोताजा करने के उद्देश्य से हम फिर वहीं रुक गए।

       सचमुच प्रकृति व प्रकृति के संरक्षक बाघों को संजोए रखने में टाइगर रिजर्व अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। दो दिन बाद हम पीलीभीत टाइगर रिजर्व से ज़िन्दगी भर न भूलने वाली यादों को समेटे लौट रहे थे। हमने हिल स्टेशन के स्थान पर टाइगर रिजर्व घूमने की योजना बना कर अपनी यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया था। हम बारबार हाईवे के किनारे पड़ने वाले जंगलों की खूबसूरती को अपनी आंखों में बसा लेना चाह रहे थे। हमारी कार बारिश की मद्धिम फुहारों और जंगल के बीच से गुजर रहे हाईवे को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। कार में धीरेधीरे किशोर और लता की आवाज़ गूंज रही थी “क्या मौसम है, ऐ दीवाने दिल, अरे चल कहीं दूर निकल जाएं…………………

आभारलेखक, श्री नवीन खण्डेलवाल, आईएफइस, उप निदेशक, पीलीभीत टाइगर रिजर्व का उत्कृष्ट फोटो व जानकारी उपलब्ध कराने हेतु आभारी है। अधिक जानकारी व बुकिंग के लिए https://upecotourism.in पर सम्पर्क किया जा सकता है।