रचना चौधरी का लेख ‘ प्यार निभाना…. खुद से’

 रचना चौधरी का लेख ‘ प्यार निभाना…. खुद से’

{कोलकता की  युवा कवयित्री रचना चौधरी सिर्फ कविताएँ ही नहीं बल्कि कहानी लेखन में भी रुचि रखती हैं।आठ लेखकों द्वारा लिखित साझा उपन्यास ‘ज़िन्दगी है हैंडल हो जाएगी ‘ का सहलेखन और संपादन भी कर चुकी हैं ।}

कई बार ऐसा होता है कि आप किसी सिचुएशन में बेहद परेशान या दुखी होते हैं ! आपको समझ नहीं आता कि क्या करें ! आपको गुस्सा आता है , आप झुंझलाते हैं , रोते हैं , चिल्लाते हैं ! आप उस सिचुएशन से बाहर निकलना चाहते हैं , क्योंकि आप खुद को उस सिचुएशन में ज्यादा देर तक नहीं देखना चाहते…. क्यों ??

क्योंकि आप खुद को खुश देखना चाहते हैं , इस तरह परेशान और दुखी नहीं….
क्यों ??

क्योंकि , आप खुद को बहुत प्यार करते हैं…

फिर…..
फिर…. क्या वजह है कि आप उसी सिचुएशन में पड़े रहते हैं ! हफ़्तों ही नहीं कई बार महीनों लग जाते हैं किसी नकारात्मक बात पर टिके रहकर अपने चारों तरफ अवसाद का एक घेरा बनाकर अपनी सड़ांध सोच के साथ खुद को तबाह करते हुए। फिर भी आप बाहर नहीं निकल पाते , आसानी से !

क्योंकि…..
आप खुद को प्यार तो करते हैं मगर आपको खुद से प्यार जताना , खुद के लिए प्यार को निभाना नहीं आता ! तो फिर इसका सोलूशन्स क्या है ???

इसका सलूशन बहुत ही आसान सा है , बस एक बार ज़रा इस तरह से सोचिये !
मान लीजिये कि आपकी परिस्थिति में आपके बजाय आपका कोई करीबी या ख़ास दोस्त है , जिसकी खुशियां आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं ! फिर आप क्या करोगे , कैसे सोचोगे ?…. उसकी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए आप जी जान लगा दोगे! हज़ार उपाय ढूंढ निकालोगे उसकी हेल्प करने के लिए ! और आपके हर प्रयास का मुख्य मक़सद सिर्फ यही होगा कि आपका करीबी हिम्मत के साथ उस प्रॉब्लम को फेस करे और हर हाल में खुश रहते हुए आगे बढे! आप उसे हंसाने का , कूल रखने का हर सम्भव प्रयास करेंगे !
तो फिर आप खुद के साथ यही रिश्ता , यही प्यार क्यों नहीं निभा पाते हैं ? क्यों नहीं आप खुद को उसी तरीके से सपोर्ट करके स्ट्रेंथ दे पाते , जिस तरीके से अपने दोस्त को देते हैं !
क्यों??

क्योंकि आप खुद में इतना गहरे तक इन्वॉल्व होते हैं कि एक समय के बाद आपको अपने स्वतंत्र अस्तित्व का बोध ही नहीं रह जाता ! आप भूल जाते हैं कि अपने आपको सही काम करने के लिए प्रेरित करने के अलावा खुद को खुश रखने , खुद को सम्मान देने ,प्यार करने और अपनी हर छोटी बड़ी ज़रुरत का ख़याल रखना भी आपकी अपने प्रति नैतिक ज़िम्मेदारी है , और इस ज़िम्मेदारी को निभाना आपके लिए बहुत ज़रूरी है ! यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आप खुद से प्यार निभाना सीख जाते हैं !
याद रखियेगा , दुनिया कितनी भी बड़ी हो , घर परिवार कितना भी बड़ा हो और सब हमारा ख़याल रखने वाले हों मगर जब तक हम हमारा ख़याल , हमारी खुशियों का ख़याल , हमारे अस्तित्व का ख़याल नहीं रखेंगे तब तक कोई और चाहकर भी हमारा भला नहीं क़र पायेगा ! ☺️