मन

 मन

मैं सीमा पटेल दिल्ली निवासी, स्वतंत्र रचनाकार हूँ लिखना पढना मेरा शौक है। कहानी, कविता, गीत, क्षणिका, हायकू मेरी प्रमुख विधाएं है , अभी लिखना जारी है…..
“सांस चलती रहे, कलम चलती रहे
जिंदगी की डगर यूँ ही कटती रहे ।।”

|| कविता ||
मन में जब प्रश्न से उठते है
तब मन अधीर हो जाता है
मन में, मन से, कर के सवाल
फिर मन विचलित हो जाता है

तुम मन की बात न समझोगे
न समझोगे मन के ज़ज़्बात
जो एक सवाल तुमको छू कर
मेरे अधरों में थम जाता है

दिन रात मैं, तेरे साथ चलूँ
और चलूँ हमेशा साथ-साथ
दुःख के बादल गहराए हो
या पड़े प्रेम की बरसात साथ

तुम साथ नही जब होते हो
मन उलझा-उलझा रहता है
तेरी यादों के, फँस धागों में
कहीं और नही मन डिगता है

–🥀सीमा

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