लोटा भर अंधविश्वास
राजेश पटेल की कलम से
ये साधारण लोटा नहीं है। इसमें अंधविश्वास भर कर पीपल के पेड़ की टहनी से लटका दिया गया है। चोरी चोरी की बात को स्वीकार करेगा, यह विश्वास भी इसमें भरा है। 80 हजार रुपये की चोरी का खुलासा करने के लिए इस अनुष्ठान में ओझा ने भी 5-6 हजार का चूना लगा दिया। यह स्थान मेरे गांव मिर्जापुर जिला के जमालपुर थाना के भभौरा के पास ही नाचिरागी मौजा सिलौटा स्थित हनुमान मंदिर है।
आइए असली कहानी पर। मेरे गांव के के निवासी हैं श्री जगदीश यादव। गांव में लोग उनको गद्दी चाचा कहकर बुलाते हैं। इतने खारख्वाह है कि ये अपने सारे रुपये को जेब में ही लेकर टहलते रहते हैं। कहीं कोई बात हुई तो झट से रुपये निकाल कर दिखाते। सुर्ती (खैनी), बीड़ी या अन्य कोई सामान खरीदने पर पूरे रुपये को निकालते हैं और सबसे बीच में रखे 10., 20, 50 रुपये का नोट निकालते। मतलब सभी को दिखाना होता है कि इतने रुपये इनके पास हैं।
इन्होंने हनुमान मंदिर के पास ही अपने खेत में चना बोया था। कटाई हो चुकी थी। चना है, सो चोरी होने का डर था, सो रात में खेत में ही सोने लगे। एक रात सोते समय कुर्ता निकाल कर बगल में रख दिए थे। सुबह नींद खुली तो कुर्ता गायब था। ये परेशान हो गए, क्योंकि उसमें इनके बताए अनुसार 80 हजार रुपये थे।
थाना इस डर से नहीं गए कि पुलिसवाले पूछेंगे कि इतने रुपये लेकर खेत में रात में क्यों सोए तो क्या जवाब देंगे। ये लगे ओझा ढूंढने, ताकि भूत कराकर चोरी करने वाले को इतना परेशान करें कि वह खुद रुपये दे जाए। एक ओझा मिल भी गया। वह आया। हनुमान जी के मंदिर पर ही पूजा-पाठ, हवन आदि किया। दर्जनों लोग मौजूद थे। पूजा के अंत में उसने लोटा में पानी भरकर पलटा तो पानी नहीं गिरा। उसने लोटा उसी अवस्था में गमछे से बांध कर पीपल के पेड़ की टहनी पर उल्टा बांध दिया। लोग बड़े आश्चर्य में कि लोटा पलटने के बाद भी पानी नहीं गिरा। ओझा ने कहा कि एक सप्ताह में चोर खुद चिल्लाने लगेगा कि उसने ही चोरी की है। वह आज भी यहां मौजूद है, चाहूं तो नाम बता सकता हूं, लेकिन वह खुद बताएगा कि उसने चोरी की है तो ठीक रहेगा।
80 हजार रुपये की चोरी, फिर पूजा में करीब पांच-छह हजार का खर्च। ओझा चला गया। लोगों ने उसके इस चमत्कार की खूब चर्चा की। मेरे कान तक भी बात आई तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है, परंतु लोटा में हवा बिल्कुल नहीं रहेगी, तभी पानी नहीं गिरेगा। मैं चला गया हनुमान मंदिर। लोटा उसी तरह से उल्टा बंधा मिला। मैंने उसेे उठाया तो हल्का लगा। फिर हिलाकर देखने लगा कि पानी होगा तो गिरेगा ही। दरअसल उसमें एक बूंद भी पानी नहीं था।
उस ओझा की पोल खुल चुकी थी, जिसने कहा था कि जब तक चोर चोरी की बात को स्वीकार नहीं कर लेगा, तब तक इसमें पानी रहेगा। अब उस ओझा को यादव जी खोज रहे हैं।