विजय सिंह बंद टाकीज के सामने जगदलपुर ( बस्तर) छत्तीसगढ़ कविता का जनपद सुनिश्चित करने का समय है! इस समय जब कवि होने की होड़ में कविता की मिट्टी, कविता का जनपद कवि के जीवन में न हो तब चिंता स्वाभाविक है । हिन्दी कविता का जनपद अपनी पूरी आभा, ताप और संघर्ष के साथ […]Read More
Tej pratap Narayan Reading Stephan Hawking’s series of lecture in a form of book is like going through a journey of evolution of various scientific theories about evolution of Universe .. The book ,The theory of Everything ‘ is written for common people in a very lucid language for better understanding of beginning of universe […]Read More
समीक्षक : अशोक वर्मा भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और वरिष्ठ कवि एवं लेखक हैं। तेज प्रताप नारायण का कहानी-संग्रह “एयरपोर्ट पर एक रात” पढ़ा। यह संग्रह जीवन का दस्तावेज़ है। इसमें स्त्री है, पुरुष है और थर्ड जेण्डर भी है; बचपन है, जवानी है, वृद्धावस्था भी है; गाँव है, नगर भी है; जीवनमूल्यों […]Read More
कवि कमल जी की पुण्यतिथि पर तेज प्रताप नारायण की श्रद्धांजलि । जैसे किसी बगिया से ख़ुशबूदार फूल का मुरझानारात के घनगोर अँधेरे में बिजली का गुल हो जानाया किसी गाड़ी के टायर से हवा निकल जानावैसे ही होता है किसी कवि कादुनिया से असमय चले जाना ।(तेज) एक कवि थे कामता प्रसाद ‘कमल ‘ […]Read More
संजय श्रमण हजारों साल तक चल सकने वाली किसी भी नफरत को अगर आप समझना चाहते हैं तो आपको पहले भारत के समाज और धर्म को समझना पड़ेगा। पुलिट्ज़र पुरस्कार विजेता इसाबेल विलकिनसन इस सूत्र को गहराई से जान और समझ गई हैं, उन्हे भारत के समाज और भारतीय धार्मिक परंपरा का अनुग्रहित होना चाहिए, […]Read More
काव्य कृति- अपने-अपने एवरेस्टरचयिता- तेज प्रताप नारायणप्रकाशन- साहित्य संचय प्रकाशनमूल्य- ₹300 कवि तेज प्रताप ने समाज मे फैली छुआ-छूत की परम्परा से गहरे से आहत हैं. समाज का उच्च वर्ग निर्बलों को दबाने का प्रयत्न हमेशा से करता रहता है.‘वह उसकी औरतों से प्यार कर सकता है,स्पर्श, चुम्बन,सम्बन्ध बना सकता है,पर उसका छुआ नही खा […]Read More
उपन्यासकार:तेज प्रताप नारायण प्रकाशक:साहित्य संचय ,समीक्षक :,रजनीश संतोष रजनीश संतोष प्रसिध्द ग़ज़लगो,कवि और लेखक हैं । Tej Pratap जी के पहले उपन्यास ‘टेक्निकल लव’ (साहित्य संचय से प्रकाशित) के बारे में एक सामान्य पाठक की अपनी राय। “.काफ़ी अरसा हो गया जब उपन्यास ख़ासकर भारतीय लेखकों को पढ़ना छोड़ दिया था। वक़्त भी नहीं था […]Read More







