कवयित्री नीलम सिंह की ‘हायकू’ रचनाएँ
‘हाइकू ‘कविता की जापानी विधा है ।नीलम सिंह ,कविता की समकालीन रचनाकारों में इस विधा की सिद्धहस्त रचनाकार हैं ।
【पिता】
पिता की सीख
तजुर्बा ज़िन्दगी का
नहीं है भीख..
पिता सरीखा
न इस जहान में
दूजा अनोखा..
पिता ने देखा
अपना प्रतिबिंब
स्व संतान में..
पिता के कंधे
जिम्मेदारियों तले
झुक जाते हैं…
पिता का प्यार
कीमती उपहार
सबको मिले…
पिता का साया
उनकी छत्रछाया
हमेशा रहे…
एक पिता ही
संतान के स्वप्न को
स्वयं जीता है…
हम स्वयं ही
पिता के व्यक्तित्व की
पहचान हैं…
पिता के स्वप्न
औलाद का है धर्म
पूरा करना…
माता पिता के
आदर्श अपनाओ
महान बनो…
【घर】
घर की शान
हैं हमारे बुजुर्ग
करो सम्मान…
आशीष रहे
उनका हम पर
प्रसन्न घर…
राह निहारें
हमेशा उनकी जो
घर से दूर…
मन से नहीं
कभी दूर हो पाएं
घर की यादें…
उदास घर
सूना घर आँगन
बिछड़े सभी…
दिल बांटते
घर के बंटवारे
जमीन नहीं…
घर की बात
पराई हो जाती है
बाहर जा के..
घर पूँछता
हर जाने वाले से
कब आओगे?…
कीमत जाने
घर की वही जो है
इससे दूर…
आपसी प्यार
सबका सहयोग
तो बने घर…
सब के प्रति
उदार व्यवहार
तो बने घर..
सीखे औलाद
बुजुर्गों का सम्मान
तो बने घर..
घर की रीत
अपनाए सप्रीत
तो बने घर…
समान प्यार
न मन में दीवार
तो बने घर..
मासूम स्वप्न
साकार होते जहाँ
वही है घर..
हंसी ठिठोली
सजे जहाँ रंगोली
वही है घर…
बुजुर्ग साथ
बरसे अनुराग
वही है घर…
फैलाए पर
मन उड़े जिधर
वही है घर..
खुश्बू में डूबा
घर का कोना कोना
खिला सा घर..
【एकांत】
है अनुरोध
बने एकांतवासी
मरे विषाणु…
कुछ दिन ही
एकांत अपनाएं
हों सुरक्षित..
एकांत स्थान
स्वयं की पहचान
करो इंसान..
स्वयं परीक्षा
उपयुक्त समय
एकांत वास..
कुछ दिन का
एकांत ज़रूरी है
जीवन हेतु..
रहो सजग
बन एकांतवासी
सबके लिए..
एकांत बिना
दांव पर ज़िन्दगी
हम सभी की..
मानो कहना
देश के मुखिया का
एकांत हेतु..
जनता कर्फ्यू
एकांत वास का है
दूसरा नाम..
दिल दिमाग
एकांत को तलाशे
रहे बेचैन..
कैसी विपदा
एकांत ही उपाय
जीवन हेतु..
सब हैं शांत
चहुँ ओर एकांत
मन प्रशान्त..
किया सभी को
अदृश्य विषाणु ने
एकांत प्रिय..
यह एकांत
तोहफ़ा ज़िन्दगी का
जन जन को..
【माँ, जननी】
शब्द शब्द में
मधु घुला है यहां
तुम मेरी माँ
जन्म देकर
जननी कहलाई
धन्य हो तुम
माँ तेरा घर
बहुत याद आए
जुदा हो कर
उड़ना मेरी
किस्मत थी माँ तुम
रोक ना पाईं
बिन पंखों की
चिड़िया थी मैं तूने
माँ पंख दिया..
आसमान की
ऊंचाई को छूने की
माँ आस दिया..
तेरी सतत
प्रेरणा से माँ आगे
बढ़ती जाऊँ..
माँ जो भरोसा,
तुमसे पाया वही
वापस लाऊँ…
ममतामयी
दुलार बरसाती
कहलाए माँ..
माँ की दुआएँ
कभी खा़ली ना जाएं
है अनमोल..
तेरी सूरत
में नज़र आता है माँ
मुझको ख़ुदा..
बसती है माँ
तेरे कदमों तले
जन्नत मेरी..
माँ तेरा प्यार
संकट की घड़ी में
बने संबल..
जिस घड़ी भी
निराशा छाए बस
माँ याद आए..
तुम जैसा माँ
इस दुनिया में है
ना कोई दूजा..
इस जग में
माँ ही दे सकती है
निस्वार्थ प्रेम..
याद आती है
माँ तेरे आँचल की
स्नेहिल छांव..
सात सुरों के
सरगम सी तुम
मेरी प्यारी माँ..
मेरी हिम्मत
मेरी ताकत, बस
माँ तुम ही हो..
कोशिश मेरी
तुम जैसी ही, मैं भी
माँ बन पाऊँ..
【बिटिया】
बिटिया मेरी
चिड़िया सी चहके
घर महके…
बिन बिटिया
घर का हर कोना
लगता सूना…..
मन आँगन
का दीपक तुम हो
बिटिया रानी…
प्यारी बिटिया
पले आँचल तले
अटूट रिश्ता…
चाँद तारों सी
हरदम चमके
बिटिया रानी…
वो हर दिन
उल्लास उपजाए
बिटिया आए….
मधुर मन
पुलकित हो जाए
बिटिया हँसे….
बिटिया तेरे
पूरे हों अरमान
यही आशीष….
घर की जान
बिटिया से सम्मान
बढ़ाए मान…
करो सुरक्षा
मत मारो बिटिया
जननी है ये …
सब कहते
बिटिया है पराई
कैसी ये रीत…
सूना रहता
मन घर आँगन
बिटिया बिन..
घर आँगन
सूना कर गयी है
बिटिया मेरी..