चीनी सामान का बहिष्कार और विकल्प

दिनेश कुमार सिंह

जब दुनियाँ 7जी से 10जी की गति से चल रही और हम 3जी से 4 जी पहुँचने के लिए भी दूसरे देशों की मदद ले रहे है।
हमारे देश के पास न तो विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी है ओर न ही विश्व स्तरीय रिसर्च सेंटर!
बेरोज़गारी, भुखमरी,दवाई अस्पताल,किसानों की दुर्दशा आज़ादी के इतने सालों बाद भी मुँह बाये खड़ी है।

कुछ लोग अपनी राजनैतिक रोटी सेकने के लिए चीनी समान के बहिष्कार का प्रदर्शन कर रहे है ,क्या उनको लगता है कि सिर्फ चाइना के समान का बहिस्कार करके सीमा विवाद खत्म हो जाएगा? जवान जो सीमा पर शहीद हो रहे उनकी आत्मा को शांति मिल जायेगी!चीन के साथ साथ अब तो नेपाल भी आंखे दिखा रहा है, पाकिस्तान से तो आज़ादी बाद से ही दुश्मनी चल रही है।क्या ऐसा करने से इस देश की समस्याओ में कोई सुधार आएगा?
जिस देश मे सरकारें जातिवाद, धर्मवाद,क्षेत्रवाद में जकड़ी हो, नफरत की राजनीति करती हो,अपराधी माफिया संसद और विधानसभाओ में बैठे हो, भ्रष्ट्राचार जिनका मूलमंत्र हो,भाई-भतीजा परिवारवाद हो!

जिस देश की जनता मन्त्र, यज्ञ, जादू, टोटके, गाय, गोबर, ज्योतिष,मन्दिर,मस्जिद में फंसी हुई हो,स्कुलो, अस्पतालों,बिजली,पानी की की जगह मंदिर मस्जिद के नाम पर सरकार चुनती हो वह देश कभी भी आत्मनिर्भर बन सकता है क्या?

आजादी के 72 साल बाद इस देश की जनता को स्वछता अभियान से जोड़ा जा रहा है लोगो को शौच करना सिखाया जा रहा है, जिस देश के लोग भ्रम में रहना पसंद करते हो और अंधविश्वास ओर पाखण्ड में लिप्त हो उस देश की जनता से भी क्या उम्मीद की जाये!

दूसरी तरफ चाइना ने आर्टिफिसियल सूरज बनाना शुरू कर दिया है जब चाहे जहा चाहे बारिश करवा सकता है 10 दिन में 1000 बेड का हॉस्पिटल बना दिया भारत के सभी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट चीन को मिल रहे है पूरे विश्व को इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट को सबसे कम कीमत पर चीन ही उपलब्ध करवा रहा है

2014 से पहले देश के वर्तमान प्रधानमंत्री बहुत बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे लेकिन आज धरातल पर पर क्या है? पिछले 6 वर्षों में भारत पर कर्ज 40 लाख करोड़ से बढ़कर 90 लाख करोड़ हो गया।

किसी भी सरकार की आलोचना करना राष्ट्र की आलोचना करना नहीं होता बल्कि देश भक्ति होती है आज भारत के ज्यादातर धंधे चाइना से बने हुए माल पर टिके हुए अगर भारत के लोग चाइना का माल लेना बंद कर दें तो भारत की 60% जनसंख्या बहुत सारे साधनों का उपभोग करने से वंचित रह जाएगी इस देश की सरकारों को चाहिए कि वह शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाये है लोगो को अंधविश्वास ओर पाखण्ड से बाहर निकाले ओर एक वैकल्पिक व्यवस्था को खड़ा करने के लिए लोगो को प्रोत्साहित करने की जरूरत है और रिसर्च और टेक्नोलॉजी पर फोकस करे।

अपने देश मे संसाधनों और पैसे की कमी नही है, कमी है तो नियत नीति और नियामक की।
अब समय है सकारात्मक दृष्टिकोण का।

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