नाग पंचमी की बातें
तेज प्रताप नारायण
सावन आते ही त्यौहारों का मौसम शुरू हो जाता है । अगर ध्यान से देखा जाए तो भारत के क़रीब- क़रीब सभी त्यौहार फसली त्यौहार है यह अलग बात है उनपर धर्म का मुल्लमा चढ़ा दिया गया है ।नागपंचमी भी इसका अपवाद नहीं है ।जब धान की रोपाई लगभग समाप्त हो जाती है तो ऐसे में किसान या खेती किसानी से जुड़े लोगों के पास केवल गाय ,भैस ,बैल आदि के लिए पानी दाने का इंजमाम करना ही शेष रह जाता है । ऐसे में रिश्ते नाते में गर्मी लाने का इससे बढ़िया मौक़ा नहीं होता ।
गर्मी और बरसात में साँप अपनी बिल के अंदर रह नहीं पाता और अक्सर गाहे बगाहे खेतों की मेढ़ों पर, पेड़ों पर, सड़कों पर और कई बार घरों में भी दिख जाते हैं । हो सकता है उनको बचाने हेतु या जागरूकता पैदा करने हेतु यह त्यौहार इज़ाद किया गया हो न कि टनों लीटर दूध फेंकने के लिए ?
मैं अपने गाँव की बात करूँ तो नागपंचमी पर हमारे घरों की घारी (जहाँ जानवर बाँधे जाते हैं ) या भुसैला (जहाँ भूसा या चारा रखा जाता है) की बाहरी दीवाल पर गोबर से एक पट्टी बनाई जाती थी और इन स्थानों की साफ़ सफ़ाई भी जाती थी ।पट्टी को एक प्रकार से सुरक्षा पट्टी माना जाता था जिससे हमारे जानवर ज़्यादा सुरक्षित हों ।
उस दिन सुबह घुघरी (भीगे हुए चने को फ्राई किया जाता था ) बनाई जाती थी जिसे सभी लोग नाश्ते में खाते थे ।यह प्रथा अब भी होनी चाहिए, इसलिए हमारे गाँव मे इसे घुघरी का त्यौहार भी कहते हैं । लोग अपनी ससुराल भी जाते थे । बेटियों को घुघरी भेजी भी जाती थी ।शाम को कुछ अच्छे पकवान बनते थे जैसे गुलगुले,बरा आदि । पता नहीं यह परंपरा अब है या ख़त्म हो चुकी है ?
यही समय होता था जब सावन के झूले भी अपनी रवानगी पर होते थे ।झूले झूलते हुए कजरी गाने -सुनने का मज़ा ही अलग होता था ।
“डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह की पुस्तक बौद्ध सभ्यता की खोज के अनुसार दूसरी सदी के मध्य से लेकर चौथी सदी के मध्य तक नाग साम्राज्य था जिसकी इतिहास कारों ने ऐतिहासिक उपेक्षा करते हुए डार्क ऐज कह दिया।इसमें एक राजा शेषनाग थे इनके पाँच वंशजों ने क़रीब 80 वर्ष तक राज किया था। मूलतः ये बौद्ध राजा थे । इन्हीं पाँच नाग राजाओं को पंचमुखी नाग के रूप में बतौर बुद्ध के रक्षक के रूप में कन्हेरी गुफाओं में दिखाया गया है ।”
क्या नाग पंचमी नाग वंश के इन पाँच राजाओं से जुड़ा नहीं दिखता है ?
साँप किसान के मित्र होते हैं जो चूहों से फसलों की रक्षा करते
हैं तो बुद्ध इंसान के मित्र हैं जो इंसान को तर्क का रास्ता दिखाते हैं और बुद्ध धर्म की रक्षा इन नाग वंशीय राजाओं ने की ।
जिस प्रकार नागवंशियों ने अपने ज़माने में बुद्ध धर्म को प्रश्रय दिया ,उनकी रक्षा की ।कितना अच्छा हो कि इस त्यौहार की प्रेरणा से हम अपने बुद्धत्व की रक्षा कर पाएं और केवल साँपों की नहीं, अपने पर्यावरण के सभी तत्व नदी,जगंल ,पहाड़, बाघ,चीता ,हिरण आदि की रक्षा करें क्यों कि इनकी रक्षा में ही हमारी रक्षा होगी ?
हैप्पी नागपंचमी