हुल विद्रोह के नायक चानकु महतो
हुल जोहार के महान क्रन्तिकारी मा चानकु महतो जिन्होंने आदिवासियों के साथ हजारो की संख्या में तीर कमान एव कुल्हाड़ी से लैस होकर अंग्रेजो को मौत के घाट उतार दिया था और आदिवासी समाज ने कभी भी अग्रेजो की अधीनता स्वीकार नही की ।आपके बलिदान दिवस 15 मई पर आपको शत शत नमन।
‘अपना खेत ,अपना दाना ,पेट काटकर नहीं देंगे ख़ज़ाना ‘ का नारा देकर चानकू महतो ने अंग्रेज़ी सरकार की नीव हिलायी थी ।वे हल विद्रोह के नायकों में शामिल थे ।पथरगामा के पास 1855 में ब्रिटिश के ख़िलाफ़ विद्रोह में शामिल हुए और गिरफ़्तार हुए ।15 मई 1856 को कझिया नदी के निकट पेड़ से लटका कर इन्हें फाँसी दे दी गयी ।
इनका जन्म रंगमटिया गाँव में 9 फ़रवरी 1816 में हुआ था ।कारु महतो और बड़की महताइन के बड़े पुत्र चानुक रंगमटिया के प्रधान भी थे ।आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था को अंग्रेजो ने जब भंग करना शुरू किया तो गोड्डा और राजमहल के इलाक़ों में हूल विद्रोह की नींव पड़ी ।
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शत शत नमन ।आज़ादी के महान सिपाही को