“पापा ये डिक्शनरी में से ‘ओल्ड एज होम’ शब्द कैसे मिटाया जाता है।” “क्यों बेटा” “दरअसल कल जब आप दादाजी को ‘ओल्ड एज होम’ छोड़ने जा रहे थे तो उन्होंने मुझे अलग बुलाकर कहा था कि बेटा हो सके तो तुम यह शब्द भविष्य में अपनी डिक्शनरी से ज़रूर मिटा देना” -डॉ आरके सिंह, वन्य […]Read More
राकेश कुमार सिंह, वन्य जीव विशेषज्ञ, कवि, स्तंभकार “मंत्री जी द्वारा केवल चार लोगों को ही पुरस्कृत किया जाना है। इसलिए इन पांच में से एक नाम हटा दो।”“लेकिन साब किसका नाम हटाएं आप ही बता दें। ये पहला वाला आपके मिलने वाले नेताजी का बेटा है, ये दूसरी वाली आपके बॉस की पत्नी हैं, […]Read More
प्रस्तुत कहानी मेरे द्वारा लिखी व्यंग्य कथा संग्रह “आग़ाज़ – A Beginning” में संकलित है। यहाँ इसे उपलव्ध कराने का एक मात्र उदेश्य दहेज़ प्रथा से उत्पन विसंगति से समाज को परिचित कराना है। ….. शेखर प्यारे साथियों दुआ, सलाम, नमस्कार, सबा खैर। आज मैं आपको बाजार से अवगत कराने जा रहा हूँ। जी हाँ, […]Read More
©तेज प्रताप नारायण राम सुख इलाहाबाद के एक थाने में अपनी बहू की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने आए थे ।थाना-पुलिस ,कोर्ट-कचहरी और डॉ-अस्पताल से सदा दूर रहने वाले राम सुख की ज़िन्दगी में यह दिन आएंगे उन्होंने सोचा न था । पर मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी ,राम सुख करते तो क्या करते । राम […]Read More
विमलेश गंगवार दिपि वरिष्ठ कथाकार हैं ।इनके दो उपन्यास और दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती है। नाम खुशी है पर रहती हो उदास? जब मैं तुम्हें देखती हूँ मुँह लटकाये बैठी रहती हो। मैडम सरोजिनी ने उपस्थिति लेकर रजिस्टर एक तरफ रख दिया और खुशी […]Read More
वरिष्ठ कथाकार विमलेश गंगवार ,संस्कृत की भूतपूर्व प्रवक्ता हैं ।इनके दो कहानी संग्रह,एक उपन्यास और एक बाल उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं ।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपकी कहानियां और कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं। नौ वर्षीय शिशिर को नींद नहीं आ रही थी। अभी पन्द्रह दिन पहले कार दुर्घना में उसकी मां की मृत्यु हो […]Read More