विमलेश गंगवार दिपि की यह कहानी 2015 में विशेष बच्चों के लिए लिखी गयी थी और कई जगह छप चुकी है । बाल साहित्य के सूखा काल में पढ़िए यह सुंदर बाल कहानी । नाम खुशी है पर रहती हो उदास? जब मैं तुम्हें देखती हूँ मुँह लटकाये बैठी रहती हो। मैडम सरोजिनी ने उपस्थिति […]Read More
ज्ञान प्रकाश चौधरी,बहराइच एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँचा। वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था ।वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव थे। इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी। सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली […]Read More
दरबारी लाल को सपने देखने का बड़ा शौक़ था ।ड्रीम, थॉट,एक्शन, रियलिटी में उन्हें सिर्फ़ ड्रीम याद था और सब कुछ भूल गए थे ।दरबारी लाल थे तो सफ़ाई कर्मचारी लेकिन उन्होंने ड्यूटी जाना कब का छोड़ दिया था ,उन्हें ख़ुद याद नहीं था।अब बेचारे ठहरे ऐसी जाति के जिसमें सफ़ाई कर्मचारी की नौकरी को […]Read More
विमलेश गंगवार लेखिका ,संस्कृत की भूतपूर्व प्रवक्ता हैं । इनके तीन उपन्यास और एक कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं ।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ ,कविताएँ और लेख प्रकाशित होते रहते हैं दिरनियां नदी अपने पूरे वेग से किलोलें भरती हुई प्रवाहित हो रही थी। दिरनियां के किनारे पांच पुरातन वृक्षों का झुरमुट खड़ा […]Read More







