मोनिका राजमुरलीगंज , मधेपुरा , बिहारशिक्षा- एम. ए. (इतिहास) युवा कवयित्री एवम स्वतंत्र लेखक ।विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कविताएं एवम आलेख प्रकाशित। 【आज की लड़की】 थोड़ा थमना पर रुकना नहीं, मिले ठोकर पर संभल जाना । तुमको है अब आगे बढ़ना, मंज़िल को अपने है पाना ।। पर अपने फ़ैलाकर तुम, आसमान में ऊँचा उड़ो […]Read More
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श्रवण यादव जी उतर प्रदेश के संतकबीर नगर जनपद के मूल निवासी है तथा वर्तमान में दिल्ली में सरकारी सेवा में रत है | साहित्य में इनकी गहरी अभिरुचि है और अपने कठिन सरकारी दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी सामयिक विषयों पर गद्य और पद्य दोनों विधाओ में निरंतर लेखन के कार्य के कार्य […]Read More
【कुछ न कुछ टूट ही जाता है..】 कुछ न टूटे ये असम्भव हैकुछ न कुछ रोज टूटनालाज़िमी हैसोचता हूँ,लिखता हूंपढ़कर फाड़ देता हूँउकड़ू बैठ जाता हूंमन मे एक नया भाव आता हैफिर कुछ न कुछ टूट ही जाता है! जिंदगी क्या है आग धुंआया पानीया फिर भूख प्यासया झूठ की कहानीसोचते सोचते जीनेका सामान जुटाने,बाजार […]Read More
डॉ अनुराधा ‘ओस जन्म-मिर्जापुर जिले के एक गाँव में शिक्षा– पी-एच.डी. (मुसलमान कृष्ण भक्त कवियों की प्रेम सौंदर्य दृष्टि) प्रकाशित काव्य कृति – ‘ओ रंगरेज’ सम्पादन– ‘शब्दों के पथिक’ (सांझा काव्य संकलन. इंक पब्लिकेशन) ‘परिवर्तन साहित्यिक मंच’ के वेबसाइट पर कविताएँ प्रकाशित.. ‘मेरा रंग :वेबसाइट पर कविताएँ प्रकाशित ‘हमारे स्वर आपके शब्द’ (सृजनलोक प्रकाशन)पर कविताओं […]Read More
जितेंद्र राज चावला एक लेखक, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक, राजनीतिक विचारक हैं जो समाज में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय (किरोड़ीमल कॉलेज) से शिक्षा प्राप्त की है । भारतीय संचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता किया है । इतिहास के अध्यापक है । 【1 】 इक तेरे, जहन में मेरे ख्यालों का गोते खाना, […]Read More
तेज प्रताप नारायण ,समकालीन कविता के प्रमुख रचनाकारों में से एक हैं ।इनकी रचनाओं में इंसान और इंसानियत के साथ समूची प्रकृति को बचाने की जद्दोजहद दिखाई पड़ती हैं ।उनकी चिंता हाशिए के लोग हैं । वे समाज मे उनका खोया हुआ स्थान दिलाना चाहते हैं। उनकी कविता संघर्ष की कविता है,प्रकृति की कविता है […]Read More
तेज प्रताप नारायण ,समकालीन कविता में हस्तक्षेप रखने वाले रचनाकार हैं जिनकी रचनाओं में इंसान और इंसानियत के साथ समूची प्रकृति को बचाने की जद्दोजहद दिखाई पड़ती हैं ।उनकी चिंता हाशिए के लोग हैं । वे समाज मे उनका खोया हुआ स्थान दिलाना चाहते हैं। उनकी कविता संघर्ष की कविता है,प्रकृति की कविता है । […]Read More