तेज प्रताप नारायण सितम्बर आने वाला था ।हिंदी बहुत उदास थी । अंग्रेज़ी बोली “,सिस्टर ! क्यों उदास हो ? अब तो आपके ही चर्चे होने वाले हैं । ” “सही कह रही हो बहन ! चर्चे तो होंगे लेकिन यही तो उदासी का कारण है !” इंग्लिश के अचरज का ठिकाना नही था ।भला […]Read More
देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आई ई टी लखनऊ से बी टेक् और फिर उत्तर प्रदेश शासन से रिटायर्ड (वीआर एस) दिनेश कुमार सिंह ,लखनऊ से प्रकाशित ‘डे टू डे दैनिक’ के उपसंपादक हैं ।समाज के उपेक्षित वर्गों को यथा सम्भव सहायता भी देते हैं । गाँवके गबरू जवान अब गोबरैले कीड़े होते जा रहे […]Read More
व्यंग्यकार रवींद्र कुमार जाने माने कवि और लेखक हैं ।भारतीय रेल कार्मिक सेवा के पूर्वअधिकारी रवींद्र कुमार भारत सरकार विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी हैं और संयुक्त सचिव के पद से कार्यमुक्त हुए हैं ।अंग्रेजी और हिंदी में समान भाव से लिखने वाले लेखक की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । ध्यान चंद […]Read More
आशीष तिवारी निर्मल लालगांव,रीवा,मध्यप्रदेश जी हाँ !बिलकुल सही पढ़ा है आपने! खुद के द्वारा किए गए एक शोध से यह कहने में मुझे कोई गुरेज नही कि यह दुनिया सिर्फ और सिर्फ मख्खनबाजी और बेईमानी की बुनियाद पर टिकी हुई है! दुनिया में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति में मख्खनबाजी और बेईमानी का गुण विद्यमान है चाहे […]Read More
तेज प्रताप नारायण (लेखक के चार कविता संग्रह,दो कहानी संग्रह ,एक उपन्यास, एक साझा उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं ।पाँच किताबों का संपादन भी कर चुके हैं ।भारत सरकार द्वारा मैथिलीशरण गुप्त सम्मान और प्रेम चंद सम्मान से समानित हो चुके हैं । एक व्यंग्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य है ।) मैं जाति हूँ और भारत […]Read More
देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज आई ई टी लखनऊ से बी टेक् और फिर उत्तर प्रदेश शासन से रिटायर्ड (वीआर एस) दिनेश कुमार सिंह ,लखनऊ से प्रकाशित ‘डे टू डे दैनिक’ के उपसंपादक हैं ।समाज के उपेक्षित वर्गों को यथा सम्भव सहायता भी देते हैं । हर आदमी का मिज़ाज समय और परिस्थितयों के अनुसार […]Read More
दिनेश कुमार सिंह एक पुरानी कहावत है हाकिम की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी,मतलब अफसर के सामने से और घोड़े के पिछवाड़े से जहाँ तक हो बचना चाहिए।बात 1994 की है हमारे विभाग के सबसे आला अधिकारी की बिटिया की शादी थी तो जैसा कि अमूमन सभी सरकारी विभागों में मख्खनबाज़ी प्रथा का चलन होता […]Read More
डॉ आर के सिंह वन्यजीव विशेषज्ञ और साहित्यकार हैं । 【एक】“गफ्फार मियां कहाँ?”“लाहौल बिला कूवत, कितनी बार मना किया है रास्ते में न टोका करो।”“अरे चचा खामख्वाह लाल पीले हो रहे हो। बस इत्ता ही तो पूछा है कि कहां जारे हो।”“मसूर लेने जा रहे हैं, बताओ।””लगता है चच्ची कुछ लज़ीज़ बना रही हैं।”“अब तुमसे […]Read More
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