कल्पना कीजिये आपके हाथ में एक कूची, कई प्रकार के रंग और एक कैनवास है | आपको एक चित्र बनाना है, आप सबसे पहले किसका चित्र बनायेंगे? आप सोच रहे होंगे कि मैं नदी, पर्वत, झरना, सागर, स्त्री जैसे अनेकानेक विषयों में से कोई एक विषय के बारे में कह रहा हूँ, ऐसा बिल्कुल नहीं […]Read More
तेज प्रताप नारायण जितना अंदर से हम शुद्ध होते हैंउतनी मात्रा में हम बुद्ध होते हैं जो हम खोजते बाहर हैंवह हमारे अंदर हैजिसको हम समझते झील हैंवह चेतना का समंदर हैजिसमें मिलेगीबुद्ध की करुणाचारों आरिय सत्यअष्टांगिक मार्गपंचशील सिद्धांतमिट जायेंगे सारे भेदप्रिय हो जायेगी प्रकृतिसमस्त जंतु जीव बड़ा सरल मार्ग हैबुद्धत्व कासम्यक तत्व का करुणा […]Read More
Tej Pratap Narayan About the author :(The writer is a well known name of Hindi literature .There are several books of poetry ,short stories and Novel to his credit .He has received many prestigious awards such as Prem Chand Award for his story book ,Kitne Rang Zindagi Ke and Maithili Sharan Gupt Award for his […]Read More
सतीश कुमार सिंह ,समीक्षक,छत्तीसगढ़ छायावाद और छायावादोत्तर काल से लेकर समकालीन हिंदी कविता तक लंबी कविताओं का एक दौर चलता रहा है और आज भी नये पुराने सभी रचनाकार समय समय पर इसमें हाथ आजमाते रहे हैं । इसमें कोई दो राय नहीं कि इन लंबी कविताओं में कथ्य की नवीनता , भाषा और भाव […]Read More
लक्ष्मीकांत मुकुल हिंदी के उन कवियों में से हैं जिनकी चेतना किसान जीवन के कठोर यथार्थ से उत्पन्न है.जब अधिकतर कवि शहरी जीवन के इर्द-गिर्द उत्पन्न घुटन,टूटन और बिखराव को अपनी कविता के अंकुरण के लिए आधार-भूमि बना रहे वहीं लक्ष्मीकांत मुकुल किसान,किसानी,फसल और किसान और फसलों के मारे जाने का दर्द एवं टीस को […]Read More
साभार :सीमा पटेल ,कवयित्री, दिल्ली दिमागीगुलामी हैप्रगति में_बाधक जिस जाति की सभ्यता जितनी पुरानी होती है, उसकी मानसिक दासता के बंधन भी उतने ही अधिक होते हैं. भारत की सभ्यता पुरानी है, इसमें तो शक ही नहीं और इसलिए इसके आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावटें भी अधिक हैं. मानसिक दासता प्रगति में सबसे अधिक […]Read More
प्रेमचंद पर विचार करते हुए इस बात पर भी बहस जरुरी है कि आलोचकों ने प्रेमचंद को किस रूप में पढ़ा है | उनके प्रेमचंदीय –पाठ ने हिन्दी आलोचना में कितनी श्रीवृद्धि की है | हमें उनके मूल्यों पर भी विचार करना होगा | यह आवश्यक नहीं है कि प्रेमचंद पर लिखी गयी प्रत्येक आलोचनात्मक […]Read More







